Sunday, May 3, 2020
Wednesday, April 29, 2020
शान-ए-खाकी तुम्हारी सलामत रहे...
शान-ए-खाकी तुम्हारी सलामत रहे...
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With Warm Thanks..
Monday, April 27, 2020
मैं नींदें रात की तेरी.../main neende raat ki teri
मैं नींदें रात की तेरी...
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Regards
Sunday, April 26, 2020
Mother's Day Special: ऐसी होती है माँ..
ऐसी होती है माँ...
https://youtu.be/MpFdLe2OgiQ
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This poem is dedicated on mother's day...
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Tuesday, April 21, 2020
Started my youtube channel
Dear friends
Now you can hear me with latest poetry at my youtube channel at
https://youtu.be/dvGknzDm1sY
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Thanks
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Thursday, April 16, 2020
गलियों में सन्नाटा क्यों है??
गलियों में सन्नाटा क्यों है ??
रिश्तों का सौहार्द नदारद घर तक सिमटा नाता क्यों है।
आंखों में नमीं खामोश जुबां, गलियों में सन्नाटा क्यों है।।
न बच्चों की किल कारी है न उत्सव की चढ़ी खुमारी है,
अपनें अपनें में कैद हैं अपनें टुकड़ों में बंटी बीमारी है।
चहु दिशि में फैली चरम चाह यह नश्वरता का अभिमान लिये,
सूक्ष्म रूप से विकट रूप धर यह बढ़ता जाता क्यों है।।
आंखों में नमीं.........!!
क्या मानव की क्षणक भूल को मानवता सारी भुगतेगी,
क्या हरिजन की उदर अग्नि अब कण कण को तरसेगी।
आओ बिछड़े एक दूजे से आगे मिलनें की खातिर,
कहाँ पूँछता संकल्प आगमन आखिर तू जाता क्यों है।।
आंखों में नमीं........!!
क्रंदन करुण कराल कोरोना जग में लाया हाहाकार,
जग व्यापी बीमारी लाया चहुँ ओर बिखरती करुण पुकार।
इससे डरना डरकर छिपना छिपकर घर में रहना निदान है,
फिर निकल राह पर मिलकर औरों में इसको फैलाता क्यों है।।
आंखों में नमीं..........!!
रिश्तों का सौहार्द नदारद घर तक सिमटा नाता क्यों है।
आंखों में नमीं खामोश जुबां, गलियों में सन्नाटा क्यों है।।
Please visit for video at:.
https://youtu.be/esH8qHasMmc
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Wednesday, April 15, 2020
उड़ान
!! उड़ान !!
यह पूंछ परिंदों से उड़ना किसको कहते हैं।
और समझ लताओं से झुकना किसको कहते हैं।।
सुख दुख तो लहरें हैं आती हैं और जाती हैं,
कितनी भी प्रबल गति हो क्या सागर को हिलाती है।
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World (संसार) है जन्म यहीं है मरण यहीं,चिंताओं का हरण यहीं। एकल से द्विजता धरती,मर्यादाओ का वरण यहीं।। हर मनुज धरा पर पग...