Thursday, April 16, 2020

गलियों में सन्नाटा क्यों है??

गलियों में सन्नाटा क्यों है ??

रिश्तों का सौहार्द नदारद  घर तक सिमटा नाता क्यों है।
आंखों में नमीं खामोश जुबां, गलियों में सन्नाटा क्यों है।।

न बच्चों की किल कारी है   न उत्सव की  चढ़ी खुमारी है,
अपनें अपनें में कैद हैं अपनें   टुकड़ों में बंटी    बीमारी है।
चहु दिशि में फैली चरम चाह यह नश्वरता का अभिमान लिये,
सूक्ष्म रूप से विकट रूप धर   यह बढ़ता   जाता क्यों है।।
आंखों में नमीं.........!!

क्या मानव की क्षक भूल को मानवता सारी भुगतेगी,
क्या हरिजन की उदर अग्नि अब कण कण को तरसेगी।
आओ बिछड़े एक दूजे से     आगे    मिलनें की खातिर,
कहाँ पूँछता संकल्प आगमन आखिर तू जाता क्यों है।।
आंखों में नमीं........!!

क्रंदन  करुण  कराल  कोरोना     जग में लाया हाहाकार,
जग व्यापी बीमारी लाया चहुँ ओर बिखरती करुण पुकार।
इससे डरना डरकर छिपना छिपकर घर में रहना निदान है,
फिर निकल राह पर मिलकर औरों में इसको फैलाता क्यों है।।
आंखों में नमीं..........!!

रिश्तों का सौहार्द नदारद घर तक सिमटा नाता क्यों है।
आंखों में नमीं खामोश जुबां, गलियों में सन्नाटा क्यों है।।


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https://youtu.be/esH8qHasMmc

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