Tuesday, February 4, 2020

Present to Future-. वर्तमान से भविष्य

PRESENT TO FUTURE.. वर्तमान से भविष्य

क्यों सजदे पे सजदा होती,      ये सच्चाई सच में झूठी है।
विषाक्त लता फल फूल रही,        हरियाली क्यों रूठी है।।

तीखे बोल में अपनापन,          बड़बोलापन विषपान हुआ,
सच्चाई का स्वाद है कड़वा इस बात से क्यों अनजान हुआ।
मीठे बोल ज़हर जीवन में,        कुछ तो कड़वा पान तू कर,
संस्कृतियों का सम्मान वो लौटे,       जो मानवता नें लूटी है।।
विसाक्त लता.........।।

इंसान जनम ले मानव में,           अब यही कामना करते हैं,
निज हाँथो से आघात ना हो,       बस यही कामना करते हैं।
खुद से बड़ा खुदा होगा,           जब धरती ये सुरधाम बनेगी,
देव मनुज से डोर जुड़ेगी,         जो कब से अब तक टूटी है।।
विसाक्त लता..........।।

जब गैंरों का हित अपना होगा,   फिर सतयुग वापस आयेगा,
जब मृगतृष्णा छूटेगी मन से,       छ्द्म भाव     भग   जायेगा।
इंसान मेरा आवाहन तुझको,       फिर वो धरा।      बनानी है,
अब दिवास्वप्न सा लगता है,       वेदों की आशा        टूटी है।।
विसाक्त लता.......।।

क्यों सजदे पे सजदा होती,         ये सच्चाई सच में   झूठी है।
विसाक्त लता फल फूल रही,        हरियाली क्यों      रूठी है।।


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