Mazbur. मज़बूर
मैं दुनिया छोड़ दू तेरी मगर मज़बूर इतना हूँ,
मैं दावा छोड़ दू तेरा मगर मज़बूर इतना हूँ।
मुझे मालूम है मेरी मोहब्बत का सफर यारो,
तू मेरी हो नहीं सकती मैं तेरा हो नहीं सकता।।
तू सागर है मोहब्बत का मैं अम्बर हूँ ख्यालों का,
छितिज पर आ गया हूँ मैं मगर मजबूर इतना हूँ,
तू मुझको छू नहीं सकती मैं तुझको पा नहीं सकता।।
तू मंज़िल रोशनाई है मेरी हर एक राहों की,
मेरा हर रास्ता जुड़ा तुझसे, मगर मज़बूर इतना हूँ।
तू उठकर आ नहीं सकती मैं चलकर जा नहीं सकता।।
तू मेरी छोड़कर दुनियां कहीं औरों की जन्नत है,
मैं पाना चाहता दिल से मगर मज़बूर इतना हूँ।
तू मुझको मिल नहीं सकती मैं तुझको पा नहीं सकता।।
मैं तेरी आखँ की नजरें तू मेरी आँख का काजल,
बहुत नजदीक हूँ तुझसे मगर मज़बूर इतना हूँ।
तू मुझतक आ नहीं सकती मैं तुझतक आ नहीं सकता।।
तू मेरी रूह है मुझमें मैं तेरे दिल की धड़कन हूँ,
तू मुझमें है मैं तुझमें हूँ मगर मजबूर इतना हूँ।
तू मुझबिन मर नहीं सकती मैं तुझबिन जी नहीं सकता।।
मोहब्बत धार दरिया की किनारें इसके हम दोनों,
मैं संग तेरे सफर तक हूँ, मगर मज़बूर इतना हूँ।
तू मुझसे मिल नहीं सकती मैं तुझसे मिल नहीं सकता।।
तू मेरी आँख का झरना जलन मैं तेरे दिल की हूँ,
झलकते साथ दोनों हैं मगर मज़बूर इतना हूँ।
तू भिगों सकती नहीं मुझको मैं सुखा तुझको नहीं सकता।।
मुझे मालूम है मेरी मोहब्बत का सफर यारो,
तू मेरी हो नहीं सकती मैं तेरा हो नहीं सकता।।
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