Monday, March 2, 2020

अंतिम

              ।।अंतिम।।

ना कोई याद करे मुझको, ना याद किसी को मैं आऊँ,
बस यादों में मिल पाऊं,  नज़र किसी को ना आऊँ।।

चार हाँथ जो मिल जाते      तो कंधों पर क्यों होता,
अपनों से अपनापन मिलता तो तन्हाई पे क्यों रोता।
दुनिया वालो जाते जाते।   विनय मैं इतनी करता हूँ,
आंखों में पानी ना आये, जब याद किसी को मैं आऊँ।।
बस यादों में...............।।

मेरा सावन सूखा बीता,      भाद्र माह भी रीत गया,
अपनों संग तन्हा सा रह रह ये जीवन भी बीत गया।
ना हाथों से गागर छूटी ना अरमानों की झोली रीती,
द्रवित हृदय संग प्यासे कंठ की अब गाथा कैसे गाउँ।।
बस यादों में..............।।

सौम्य भाव से भरी विदाई,   दुष्कर जीवन होता है,
आना हो या जाना हो,    मानव दोनों में ही रोता है।
धरती पे पर चाहूँ मैं         आसमान में धरा तलासू,
उन्मुक्त स्वांस की आशा में हर स्वास तोड़कर मैं जाऊँ।।
बस यादों में.........।।

ना कोई याद करे मुझको, ना याद किसी को मैं आऊँ।
बस यादों में मिल पाऊं,     नज़र किसी को ना आऊँ।।

Wednesday, February 19, 2020



तुमसे नज़रें जो मिली दिल की मुलाक़ात हुई।
हमको मालूम नहीं इनकी क्या बात हुई।।
अनजाना था सफर लेकिन कुछ जाना सा लगा,
कुछ अपना सा लगा लेकिन कुछ बेगाना सा लगा।
















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जीवन

                        !! जीवन !!


मर्यादाओं का     नाम है जीवन,        संघर्षों का नाम है जीवन।
पल पल मौत से लड़ना जीवन, चलती सांसों का नाम है जीवन।।
मर्यादाओं का नाम............।।

मनुज देह ले    जन्म लिया,   फिर चलनें को संघर्ष किया,
बोली सीखी भाषा सीखी, फिर ज्ञान प्राप्ति का मर्म लिया।
कोरे ज्ञान को लेकर निकला,       रोज़गार का लक्ष्य लिये,
पल पल मुड़ना ठोकर खा कर,    बढ़ने का नाम है जीवन।।
पल पल मौत से............।।

धूप छावं से सुख दुख आते,    प्रतिपल होता आभास यही,
बंज़र धरती पर ख्वाहिश बोता, विस्तार लक्ष्य आकाश यही।
सब पाना मुझे जरूरी है,        कुछ खोना भी तो मज़बूरी है,
गिर गिरकर उठनें की,             आशाओं का नाम है जीवन।।
पल पल मौत से...........।।

आँखों का पानी    पी पीकर ,    प्यास बुझाना सीख गये,
अपनें गम को भीतर रखकर, हर पल मुस्काना सीख गये।
हर रिश्ते की खुशहाली में, जीवन का हर क्षण सौंप दिया,
अंतिम क्षण में अपनों के बीच, तन्हा जानें का नाम है जीवन।।
पल पल मौत से..........।।

मर्यादाओं का     नाम है जीवन,        संघर्षों का नाम है जीवन।
पल पल मौत से लड़ना जीवन, चलती सांसों का नाम है जीवन।।


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Tuesday, February 18, 2020

जिम्मेदारी

           !! जिम्मेदारी !!


नर देह धरा क्या इसी लिए मैं जिम्मेदारी बन जाऊँ।
पर बांध बैठकर डाली में, आसमान को ललचाऊँ।।
पर बांध.........।।

देह का रग-रग भरा हुआ है कर्तयों के अहसासों से,
जीवन का पल-पल दबा हुआ है, अपनों के अहसानो से।
निज क्षुधा त्यागकर अपनों की हर भूख मिटाता फिरता हूँ,
सबको  मैं जलपान कराकर खुद एक कौर को ललचाऊँ।।
पर बांध.......।।

बचपन सीख- सीखकर बीता, यौवन गया कमाने में,
सबकुछ पाया दुनिया में, फिर सब खो गया जमानें में।
आदि वही है अंत वही है, करकमलों का खाली होना,
साथ नही कुछ जाना मेरे, फिर सामान देख क्यों ललचाऊँ।।
पर बांध.........।।

जब छोटे थे तो बड़े हमें हर सीख सिखाया करते थे,
कर्ज है क्या फ़र्ज़ है क्या ये बात बताया करते थे।
जब बड़े हुए तो बच्चों ने अब सीख सीखना शुरू किया,
क्या खुद से मैं मोह करूँ और अम्बर में मैं उड़ जाऊँ।।
पर बांध.........।।


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Saturday, February 15, 2020

सत्ता का दंगल

           सत्ता का दंगल

सत्ता का दंगल मैं देखूँ,  या फिल्मों का दंगल मैं देखूँ।
शहरों का खौफ भरा देखूँ, या गॉव का मंगल मैं देखूं।।

हांथी मद में   झूम रहा,    नहीं साईकल     भाती है।
देखूं हाँथ तमाचे का, या सरवर खिलता कमल देखूँ।।

ये कहता है मैं जीतूंगा,     वो झुकनें को तैयार नहीं।
सत्ता का लालच देखूँ,   या देश का नुचता तन देखूँ।।

जिनको जिता के भेजा था,  जाकर मेरा देश चलाओ।
उनकी महल कोठियां देखूं, या सड़कों में घर बार मैं देखूँ।।

अपना हक क्यों   जता रहे ,     क्या ये     इनकी माया है।
अपनीं प्रतिमा आप जो पूजे, या निष्ठुर बना मुलायम देखूँ।।

हो अवाक सी देख रही,      जनता अपने अपराधों को।
क्या भूल सुधार कभी होगी,    या भूल भूलकर मैं देखूँ।।

लिखें देश की नई इबादत,          है ऐसा ररचनाकर कहाँ।
उठकर चलता बालक मैं देखूँ, या गिरता हर इंसान मैं देखूँ।।

बनता हुआ लुटेरा देखूं,    और लूटते हुये फ़कीरों को।
हे जगत नियंता तू देखे, या दलदल में धसता मैं देखूँ।।

सत्ता का दंगल मैं देखूं, या फिल्मों का दंगल मैं देखूँ।
शहरों का खौफ भरा देखूँ, या गाँव का मंगल मैं देखूँ।।

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Thursday, February 6, 2020

GAZAL.. ग़ज़ल।। Love... प्यार

GAZAL... ग़ज़ल

LOVE... प्यार


आप आँखों में काजल लगाते रहो, रात शबनम सी प्यारी हो जायेगी।
इत्तफाकन सही यूँ ही मिलते रहो,   एक दिन अपनी यारी हो जायेगी।।
इत्तफाकन सही..............।।

तेरे सुर्ख लब से जो छूकर गयी,    हवाओं में मादक नशा घुल गया,
तन्हा सी इस ज़िन्दगी में मुझे,      मानो हसी    कारवां   मिल गया।
राह गलियां मुझे यूँ बतानें लगी,   अपना हूँ मुझको     जताने लगी,
दिल की तड़प जो तुम्हारे लिये,   एकदिन वो तुम्हारी    हो जाएगी।।
इत्तफाकन सही...............।।

रात को ख्वाब बनकर सजाया करो, सोते अरमां दिलों के जगाया करो,
गुजरा करो तंग गलियों से दिल की, प्यार के दीप।  यूँ ही जलाया करो।
आप पलकें उठाकर सबेरा करो, जुल्फ साये में फिर  शाम  हो जायेगी।।
इत्तफाकन सही...............।।

साँसों पे मेरी बसा तुम करो,      दिल में हमेशा।   रहा।   तुम करो,
अपनें भी दिल की बताया करो, हमारे भी दिल की सुना तुम करो।
खयालों की बातें वो ख्वाबों की दुनिया, सच में हमारी हो जायेगी।।
इत्तफाकन सही............।।


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Tuesday, February 4, 2020

Present to Future-. वर्तमान से भविष्य

PRESENT TO FUTURE.. वर्तमान से भविष्य

क्यों सजदे पे सजदा होती,      ये सच्चाई सच में झूठी है।
विषाक्त लता फल फूल रही,        हरियाली क्यों रूठी है।।

तीखे बोल में अपनापन,          बड़बोलापन विषपान हुआ,
सच्चाई का स्वाद है कड़वा इस बात से क्यों अनजान हुआ।
मीठे बोल ज़हर जीवन में,        कुछ तो कड़वा पान तू कर,
संस्कृतियों का सम्मान वो लौटे,       जो मानवता नें लूटी है।।
विसाक्त लता.........।।

इंसान जनम ले मानव में,           अब यही कामना करते हैं,
निज हाँथो से आघात ना हो,       बस यही कामना करते हैं।
खुद से बड़ा खुदा होगा,           जब धरती ये सुरधाम बनेगी,
देव मनुज से डोर जुड़ेगी,         जो कब से अब तक टूटी है।।
विसाक्त लता..........।।

जब गैंरों का हित अपना होगा,   फिर सतयुग वापस आयेगा,
जब मृगतृष्णा छूटेगी मन से,       छ्द्म भाव     भग   जायेगा।
इंसान मेरा आवाहन तुझको,       फिर वो धरा।      बनानी है,
अब दिवास्वप्न सा लगता है,       वेदों की आशा        टूटी है।।
विसाक्त लता.......।।

क्यों सजदे पे सजदा होती,         ये सच्चाई सच में   झूठी है।
विसाक्त लता फल फूल रही,        हरियाली क्यों      रूठी है।।


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