Lover (आशिक)
अगर आसमाँ हौसलों में ना होता,
ये मोहब्बत के मारे जमीं पर न होते।।
लोग तन्हां सा लम्हां न देते किसी को,
ये सारी उमर इस्तिआदत न होते।।
कबाहत जो होती मोहब्बत में इनके,
तड़पते हुये दिल सम्हाले न होते।।
तत्जलूम ही करते इबादत न करते,
जो खुद के दिल के पराये न होते।।
सदियां बिता दे मिलन आरजू में,
जो सिद्दत से रिश्ते बनाये न होते।।
है मुस्कान लफ्जों में हर मुफ़लिसी में,
जो खुद को उनके बनाये न होते।।
जुल्म उनके सितम के गिनाते कभी ना,
बस इक बार उनके जो दीदार होते।।
गर माँग सकता तुझे मांग लेता,
तो मेरा नाम गैरों में लाये ना होते।।
तेरी राह गुजर में सफर काट लेते,
अगर हमसे नज़रें फिराये ना होते।।
जरा सोख नज़रों से गर देख लेते,
तेरे गम में खुद को जलाये ना होते।।
हो जाते रुखसत कब के जहां से,
अगर ख़्वाब-ए-सजदा सजाये ना होते।।
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