ग़ज़ल.... Gazal
JAKHMI DIL.....जख्मी दिल
हम प्यार के मारे दीवानों का, हाल तो यूँ ही होता है।
अधरों पे मुस्कान सजाये, दिल तो यूँ ही रोता है।।
हम प्यार के मारे..........।।
महफ़िल में बेगानों से, बीच शमां परवानों से।
अपनें प्यार के सानों से, दिल तो यूँ ही रोता है।।
अधरों पे मुस्कान......।।
चंचल शोख अदाओं से, वादी में उड़ती हवाओं से।
लहरों को छूती फ़िज़ाओं से, दिल तो यूँ ही रोता है।।
अधरों पे मुस्कान.......।।
मंदिर के भगवानों से, मस्जिद से उठती दुवाओं से।
गिरिजाघर से गुरुद्वारों से, दिल तो यूँ ही रोता है।।
अधरों पे मुस्कान.......।।
अपनों से बेगानों से, घर-आँगन से खलियानों से।
गांव के हर बागानों से, दिल तो यूँ ही रोता है।।
अधरों पे मुस्कान.......।।।
हर सावन से हर पतझड़ से, बादल के गरजते कड़-कड़ से।
शीत लहर की ठिठुरन से, दिल तो यूँ ही रोता है।।
अधरों पे मुस्कान........।।
हर आहट से घबराहट से, तपती धूप तरावट से।
आराम से और थकावट से, दिल तो यूँ ही रोता है।।
अधरों पे मुस्कान.........।।
घायल दिल की हर आहों से, फूलों से पटी हर राहों से।
लिपट-लिपट गल बाहों से, दिल तो यूँ ही रोता है।।
अधरों पे मुस्कान..........।।
उम्मीदों से अरमानों से, आराम के हर सामानों से।
हर साथ से हर यारानों से, दिल तो यूँ ही रोता है।।
अधरों पे मुस्कान..........।।
हम प्यार के मारे दीवानों का, हाल तो यूँ ही होता है।।
Terms & Conditions,
गिरिजाघर से गुरुद्वारों से, दिल तो यूँ ही रोता है।।
अधरों पे मुस्कान.......।।
अपनों से बेगानों से, घर-आँगन से खलियानों से।
गांव के हर बागानों से, दिल तो यूँ ही रोता है।।
अधरों पे मुस्कान.......।।।
हर सावन से हर पतझड़ से, बादल के गरजते कड़-कड़ से।
शीत लहर की ठिठुरन से, दिल तो यूँ ही रोता है।।
अधरों पे मुस्कान........।।
हर आहट से घबराहट से, तपती धूप तरावट से।
आराम से और थकावट से, दिल तो यूँ ही रोता है।।
अधरों पे मुस्कान.........।।
घायल दिल की हर आहों से, फूलों से पटी हर राहों से।
लिपट-लिपट गल बाहों से, दिल तो यूँ ही रोता है।।
अधरों पे मुस्कान..........।।
उम्मीदों से अरमानों से, आराम के हर सामानों से।
हर साथ से हर यारानों से, दिल तो यूँ ही रोता है।।
अधरों पे मुस्कान..........।।
हम प्यार के मारे दीवानों का, हाल तो यूँ ही होता है।।
Terms & Conditions,
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