Sunday, January 12, 2020

एक दीदार सनम का - मुलाक़ात meeting

मुलाक़ात



यूँ ही नही मिलता कोई जमानें में कोई न कोई राज होता है।
दिल की जंजीरों में बंद सुनहरा सा कोई साज होता है ।।
यूँ ही नहीं..................!!

आखों को जो अपना सा लगे होगा कोई गैर नहीं,
जज्बात ए सफर प्यार है ये कोई शाम ए सैर नहीं।
इज़हार करे दिल ये तड़प शाम वो सुबह,
वो दिल ए प्यार की मूरत कोई हमसाज होता है।।
यूँ ही नहीं..................!!

पलकों को उठाये तो अरमां ए दिल मचल जाए,
नज़रें जो झुकाये तो हसी शाम भी मचल जाए ।
सबनम का नशा घोल दे छूने से हवा भी,
सांसे भी दुहाई दे वो कोई हमराज होता है ।।
यूँ ही नहीं...................!!

एक मुलाक़ात का जादू है कि हम सोये नही,
आँख नम है ये मगर हम सच में रोये नहीं ।
मन मचलता है उसे शैदाई बनाने के लिए,
ये खौफ़ ए दिल नही दिल ए पासो लिहाज़ होता है।।
यूँ ही नही..............!!



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