Saturday, January 25, 2020

Gazal. दर्द-ए-गम

Gazal.  दर्द-ए-गम


अपनी आंखों से आँचल भिगोता हुआ,
                              दर्द में डूबकर अब नहाता हूँ मैं।
रहम से सितम कैसे मुझपर हुआ,
                          दांस्ता अपनें दिल की बताता हूँ मैं।।
अपनी आंखों से............।।

जब अकेला था दिल में कई ख्वाब थे,
                        उनकों हासिल करूँ ऐसे जज़्बात थे।
दूर तक ढूढती थीं निगाहें जिसे,
                           कैसे आकर वो खोया बताता हूँ मैं।।
अपनी आँखों से...........।।

जब मिली मुझको मेरा जहाँ मिल गया,
                        सूखे तरुवर पे जैसे कमल खिल गया।
मिली हर खुशी ख्वाब पूरे हुये,
                           दास्तान-ए-सितम अब बताता हूँ मैं।।
अपनी आंखों से.............।।

बूंद नींबू की जैसे पड़ी दूध पर,
                             मातम में खुशियां बदल सब गयीं।
मेरा नूर-ए-नज़र जब फ़ना हो गया,
                               उसे रात-दिन अब बुलाता हूँ मैं।।
अपनी आँखों से.................।।

कैसे आएगी सदियां गुजर सी गयी,
                               अम्बर ये धरती बदल सब गयीं।
कहर-ए-जुदाई को दिल में लिये,
                        उसकी सजदा के अब गीत गाता हूँ मैं।।
अपनी आँखों से..............।।


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