Monday, January 20, 2020

HUMAN इंसान

HUMAN.   इंसान

ये इंसा जमीं पे होता है तो आसमाँ चाहता है।
                                     सितारों में आकर जमीं तलाशता है।।
रिश्तों में उलझता है तो चाहता परिंदों सी आजादी
                                टूट जायें ये बंदिशें तो रिश्ते तलाशता है।।
अपनीं खुशियों के लिये कितनों को ग़मगीन किया होगा।
              गम के आग़ोश में खुद आये तो फ़रिश्ता तलाशता है।।
जो बिखेरें हैं गम तूने वो कभी तुझ तक भी आयेंगें।
                बिरला ही होगा जो अपनें भीतर खुशी तलाशता है।।
मशीनों के साये में पलने वाले कभी जज्बात की कदर कर।
           जब खुद बेबस हुआ जख्मों से तो रहनुमा तलाशता है।।
वक़्त अच्छा हो तो खुदा से भी ख़ुदाई कर ले।
                   ठोकरें लग जाये तो खुदा का रास्ता तलाशता है।।
मय के आगोश में मैं में मदहोश होने वाले।
                   खुमारी उतर जाये तो घर का रास्ता तलाशता है।।
इंसान है इंसानियत से पतित होकर मदहोश न होना।
                          ये खुदा भी इंसानों में फरिस्ता तलाशता है।।
पाक नीयत नेकदिल रहनुमा बनकर तो देख जरा।
       मुक़द्दर भी खुशियां परोसने वाले का मुकाम तलाशता है।।



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1 comment:

Anonymous said...

good one