Truth. सच
राह के हर पत्थर को खुदा बना दू मुमकिन नही,
मुझे तो ठोकरों से संभलना पड़ता है।।
जिन्दगी में हर पल नये इम्तिहान होते हैं,
जिनमें हर लम्हों को गुजरना पड़ता है।
कौन कहता है कि दुनिया मे कोई गैर नहीं,मदद की आस में गैरत से गुजरना पड़ता है।।
खुशी बांटो तो अपनी, गम बांटों तो पराई है दुनिया,
हीरों की गली में कांच के पैबंद पे चलना पड़ता है।।
ये दस्तूर-ए-गैरत है अजब इस दुनिया का यारो,
अपना बनकर गैरों के शहर रहना पड़ता है।।
हम में दम है तो कदम चूमती दुनिया,
शोखे कलियों को भी शूलों की कैद पे रहना पड़ता है।।
पलटकर आएगा खुद के जख्म के खातिर,
सुना था आसमाँ में छेद को पत्थर उछालना पड़ता है।।
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