Tuesday, January 7, 2020

Nirbhaya Hatyakand - निर्भया हत्याकांड

आज दिल्ली की एक अदालत पटियाला हाउस कोर्ट में निर्भया हत्याकाण्ड के चारो आरोपी मुकेश, विनय शर्मा, अक्षय सिंह और पवन गुप्ता को डेड वारंट जारी किया है। फैसले के मुताबिक चारो दोषियों को 22 जनवरी सुबह 7 बजे फांसी दी जाएगी। निर्भया के माता पिता को इस फैसले से संतुष्टि है। मैं यहां पर उन्हें खुश नहीं सन्तुष्ठ ही कह सकता हूँ, क्योकि जिसकी बेटी के साथ ऐसी बर्बरता हुई है वो किसी भी हाल में खुश नही हो सकते, पर फ़ैसले से संतोष जरूर हुआ होगा।।

यहां पर मैं समाज का ध्यान एक विशेष द्रष्टिकोण पर आकृष्ठ करना चाहता हूँ कि आखिर ऐसी घटना क्यों घटी। आखिर क्या कारण है कि हमारे समाज में हमारे साथ में रहने वाला ही कोई कैसे इतनी वीभस्थ घटना को अंजाम दे सकता है। क्यों ऐसा जघन्य अपराध करते हुए इनका दिल नही पसीजता और इनकी अंतरात्मा कैसे इस अपराध को स्वीकार कर लेती है। भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो इसलिए आज इसका विशलेष्ण करना अति आवश्यक है।।

हमारा समाज लगातार पाश्चात्य संस्कृति पर परिवर्तित होता जा रहा है और क्यो केवल उसके अवगुणों का ही दुष्परिणाम दिख रहा है। दरअसल हमारी जीवन शैली तो उसमें परिवर्तित हो गई पर हम अपनी मानसिक शैली को नही बदल पाए। हमने अपने समाज और संस्कृति की सारी मर्यादाओं को तो बंधन मानकर तोड़ते चले गये और उनकी जगह मानसिक विकारों ने ले ली। जबकि इसी मानसिक विकार को रोकने के लिए हमारे समाज में मर्यादाएं बनाई गई थीं।।

आज समाज में सँयुक्त परिवार की जगह एकल और विघटित परिवार ने ले लिया है, जिससे हमारी संस्कृति और संस्कार का प्रवाह बाधित हो रहा है। और इसका असर समाज मे इन घटनाओं के रूप में नज़र आ रहा है। आज के युवा घर के बुजुर्गों को फ़र्ज़ और उत्तरदायित्व की जगह बोझ और लायबिलिटी की नज़र से देखते हैं, यह भी एक कारण हो सकता है।।
हम सबका ये उत्तरदायित्व है कि हम अपनी पीढ़ी को सही दिशा औऱ सही मार्गदर्शन करें ताकि वो संस्कारवान और समाज के एक जिमेदार नागरिक बन सके, जो ऐसी घटनाओं को अंजाम देने की बजाय ऐसी घटनाओं और अपराधों को रोकने में निरंतर प्रयासरत रहें।।


।। धन्यवाद।।

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