Sunday, January 26, 2020

TERA SAATH... तेरा साथ

TERA SAATH... तेरा साथ


हर     शाम   सुहानी     होती है,        मदमस्त जवानी होती है।
हर     लम्हा        मयखाना हो,         जब  तू  बाहों में  होती है।।
हर शाम...................।।

सदियां बीतें घड़ियों की तरह,   अरमां खिलतें कलियों की तरह।
मैं उन्मुक्त गगन का  पंछी,      तू मंज़िल की गलियों की तरह।
फूलों में फ़ना    खुशबू जैसे,   जब  तू      साँसों  में     होती है।।
हर शाम................।।


आंखों में बसी   काजल की तरह,  सर को ढकती आँचल की तरह।
धक धक करती दिल की धड़कन,धड़कन में बसी जीवन की तरह।।
गलियाँ गुल से    गुलज़ार बनें,       जब  तू      राहों में     होती है।।
हर शाम.............।।

उगते सूरज सा   ख्वाब है  तू,     नींदों में  बसे    सपनों की तरह।
गैंरों सी भरी  इस महफ़िल में,  तुम मिलते हो   अपनों की तरह।।
कुछ और  ना   दिखता नज़रों से, जब तू    आखों में       होती है।।
हर शाम..............।।

मेरा सावन तू     हरियाली तू,      बरसे काले मेघों की तरह।
अम्बर में बसा मेरा चाँद है तू, पर्वत में रमे दरिया की तरह।।
दिल में गूंजे       आवाज़ तेरी,         जब तू बातों में होती है।।
हर शाम............।।


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